एक प्रयास

सोचा के कुछ खास लिखूं,
लिख दू निराशा या आस लिखूं।
कृष्ण लिखूं या रास लिखूं,
लिखूं राम और विश्वास लिखूं।
लिखूं धरती या आकाश लिखूं,
या लिखूं मृत्यु या श्वास लिखूं।
बंजर लिखूं या खेत लिखूं,
समुंदर या फिर रेत लिखूं।
फिर सोचा ये सब एक ही तो है,
थोड़े बुरे पर सब नेक ही तो है।

Published by thalassophilethoughts

thoughtless

2 thoughts on “एक प्रयास

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